कोटा ।कोटा जनपद के ग्राम पंचायत अमाली में प्रस्तावित कोल वाशरी को लेकर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा 22 दिसंबर को 16 ग्राम पंचायतों की जनसुनवाई कोटा के निरंजन केशरवानी कॉलेज मैदान में आयोजित की जानी है। जिस मैदान को क्षेत्र के खेल भविष्य के लिए विकसित किया जाना था, वहीं अब पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली परियोजना की जनसुनवाई प्रस्तावित होने से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।

कोटा क्षेत्र में मेसर्स विराज अर्थ फ्यूजन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एक बड़े कोल वाशरी की स्थापना का प्रस्ताव है। पहाड़ों, नदियों और जंगलों से घिरे इस क्षेत्र की सीमा टाइगर रिजर्व से भी लगती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले से ही जंगल कटाई, नदियों से रेत उत्खनन और मौजूदा कोल वाशरियों के कारण पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है। ऐसे में एक और कोल वाशरी खुलने से क्षेत्र का स्वच्छ पर्यावरण और लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाएगा।

16 पंचायतों का संयुक्त विरोध
अमाली, बिल्लीबंद, उमरमरा, जोगीपुर, नवागांव, कुंवारीमुड़ा, लालपुर, सलका, पोड़ी, छेरकाबांधा, बांकीघाट, कलारतराई, खुरदुर, चंगोरी, पीपरतराई, अमने, खरगहनी और गोबरीपाट सहित आसपास की पंचायतों के जनप्रतिनिधियों ने आज एसडीएम कोटा को ज्ञापन सौंपकर जनसुनवाई का विरोध किया।
ज्ञापन में कुल नौ बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराई गई है। प्रमुख आपत्तियों में—
जनसुनवाई कॉलेज मैदान में रखने का औचित्य,
कोल वाशरी के भारी वाहनों के लिए उपयुक्त सड़क का अभाव,
अमाली तक केवल पीएमजीएसवाई सड़क का होना, जो भारी वाहनों के लिए अनुपयुक्त है,
पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभा और पेसा समिति की अनुमति के बिना कथित रूप से फर्जी तरीके से जारी एनओसी,
जैसे गंभीर मुद्दे शामिल हैं।
स्वास्थ्य और प्रदूषण को लेकर बढ़ी चिंता
ग्रामीणों का कहना है कि मौजूदा कोल वाशरी से उड़ने वाली भारी धूल के कारण फसलें प्रभावित हो रही हैं और लोगों में श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर विशेष चिंता जताई गई है। ग्रामीणों ने नई कोल वाशरी को अपने गांवों के लिए “काल” बताते हुए कड़ा विरोध करने की चेतावनी दी है।
प्रशासन रहेगा सतर्क
22 दिसंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों की नाराजगी को देखते हुए प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा और चाक-चौबंद व्यवस्था रखे जाने की संभावना है। हालांकि यह देखना अहम होगा कि जनविरोध का असर जनसुनवाई और परियोजना की आगे की प्रक्रिया पर कितना पड़ता है।
फिलहाल, कोटा के उस मैदान में—जहां आज तक कोई खेल आयोजित नहीं हुआ—पहली बार पर्यावरण को लेकर बड़ा टकराव देखने को मिल सकता है। कोल वाशरी और संबंधित विभागों के खिलाफ विरोध अब खुलकर सामने आ चुका है।
