कोटा। शासकीय निरंजन केशरवानी महाविद्यालय, कोटा में आज राष्ट्रीय गीत ‘वन्देमातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक विशेष परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 10 बजे दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारित राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के सीधा प्रसारण से हुआ, जिसे महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं स्टाफ ने एक साथ देखा। माननीय प्रधानमंत्री जी के संबोधन के पश्चात समस्त उपस्थितजनों ने वन्देमातरम का सामूहिक गायन किया।
महाविद्यालय की प्राचार्य एवं संरक्षक डॉ. बेंजामिन ने अपने उद्बोधन में कहा कि वन्देमातरम भारत माँ की आराधना का मंत्र है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्र को एकता और साहस का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि यह गीत पहली बार 7 नवंबर 1875 को बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित हुआ और बाद में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के अमर उपन्यास आनंदमठ (1882) में शामिल हुआ। इसे 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार गाया था और 1950 में इसे भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया।
राजनीतिशास्त्र विभाग के डॉ. जे. के. द्विवेदी ने कहा कि वन्देमातरम भारत की सभ्यतागत, राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना का अभिन्न अंग बन चुका है। वहीं वरिष्ठ प्राध्यापक किशोर मिंज ने इसे एकता, बलिदान और भक्ति के शाश्वत संदेश को दोहराने का अवसर बताया।
कार्यक्रम अधिकारी शितेष जैन ने बताया कि वन्देमातरम की पंक्तियाँ स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रही हैं और आज भी यह भारत की राष्ट्रीय पहचान और सामूहिक भावना का प्रतीक है।
कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. शांतनु घोष ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
